Friday 4 November 2011

सोने का सिक्का

आस्ट्रेलिया में 1102 किलोग्राम वजन का सोने का सिक्का निर्मित हुआ है । 54 मिलियन आस्ट्रेलियन पाउंड की कीमत वाले , संसार के सबसे बड़े तथा सबसे मँहगे सिक्के का निर्माण क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय के आगमन को यादगार बनाने के लिए किया गया है । वैसे तो इतिहास ऐसे अजूबे कारनामों से भरा पड़ा है , परंतु आधुनिक लोकतांत्रिक युग के लिेए यह एक आश्चर्य की बात अवश्य है । इससे यही सिद्ध हुआ है कि स्वयं को आधुनिक तथा लोकतांत्रिक मानने वाले देश भी कई मामलों में प्रगतिशील विचारों को अपना नहीं पाए हैं । हाल के वर्षों में सोने की कीमत काफी बढ़ी है । ऐसे में इस तरह का कदम उठाना क्या आर्थिक दृष्टिकोण से उचित है ? अगर हर देश विभिन्न अवसरों को यादगार बनाने के लिए ऐसे ही कदम उठाने लगा तो क्या होगा ?  सोने में निवेश अर्थशास्त्र के हिसाब से अनुत्पादक समझा जाता है । जब पूरा विश्व मंदी की चपेट में है तो वैसे समय में 54 मिलियन आस्ट्रेलियन पाउंड एक सिक्का बनाने में , जो सामान्य लेन-देन में प्रचलित नहीं होगा , खर्च कर देना दूरदर्शिता नहीं है । क्वीन एलिजाबेथ के सम्मान में आस्ट्रेलिया अन्य कदम भी तो उठा सकता था । आस्ट्रेलिया यह घोषणा कर सकता था कि एक ऐसे बड़े कार्यक्रम की शुरूआत की जाएगी जो दुनिया से गरीबी हटाने में मदद करेगा या क्वीन एलिजाबेथ के सम्मान में एक ऐसा अभियान चलाया जाएगा जो विश्वबंधुत्व की भावना को प्रोत्साहित करेगा । इतिहास पढ़ने पर यह पता चलता है कि वही राजा- रानी ' महान् ' होने का दर्जा पा सके जिन्होंने लोककल्याण के काम किए अथवा संसार में बंधुत्व एवं शांतिप्रियता की भावना का प्रचार-प्रसार किया , वे नहीं जो शानदार महल , सोने-चाँदी के सामान अथवा दिखावे की ऐसी कोई वस्तु बनाने में लगे रहे ।